जालौन जिले की तपोभूमि से ओम हरीश निनावली जागीर सरकार महाराज जी को जगतगुरु
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जालौन जिले की तपोभूमि से ओम हरीश निनावली जागीर सरकार महाराज जी को जगतगुरु
शंकराचार्य की उपाधि एवं अखाड़े का राष्ट्रीय अध्यक्ष किया गया घोषित

जग दर्पण/अरुण कुमार दुबे
निनावली (जालौन)। इतिहास से लेकर आज तक बुंदेलखंड की पावन धरा पर जन्मे कई वीरों ने बुंदेलखंड को इतिहास के प्रष्ठों में शामिल कर लिया है। वही बुन्देलखण्ड के जालौन की तपोभूमि से गौरवशाली इतिहास बीर गाथाओं से सम्मानित श्रषि मुनियों की तपोभूमि से हिन्दू धर्म के राष्ट्रीय कट्टरपंथी संतों में आने वाले सच्चे सनातनी राष्ट्र भक्त दीन दुखी असहाय गरीब बेसहारों बेजबानों दुखियारों के हृदय सम्राट राष्ट्रीय भविष्य वक्ता ऊं हरीश निनावली जागीर सरकार महाराज श्री बृम्हश्रषि राजगुरु श्रीहरिहर मणीन्द़ जी महाराज को 11नवम्बर को इलाहाबाद संगम की पावन सुपुनीत दिव्य धारा पर श्री पंचदशनाम संत श्री गुरुदत्त अखाड़ा की सह संम्मति से महाराज श्री निनावली जागीर सरकार को जगत गुरु शंकराचार्य व अखाड़े का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया।

जैसे ही संत जनों को इसकी जानकारी मिली तो भारी संख्या में संत समाज का आवागमन शुरू हो गया एवं बधाइयों का ताँता लगा हुआ है।महाराज श्री निनावली जागीर सरकार ने पद संभालते ही अखाड़े के संरक्षक से सदस्य तक सभी का हृदय से धन्यवाद किया।
इस घोषणा को अखाड़े का ऐतिहासिक सिद्ध सावित होना बताया साथ ही राष्ट्रभक्तो, सनातनियों, धर्माचार्यो, धर्मरक्षको, राष्ट्ररक्षकों आदि सभी को हृदयात्मक शुभ आशीष वचन सदाबहार ख़ुश रहो शुभकामनाओं सहित देश हित में में हिन्दू राष्ट्र गौमाता,रामायण,परशुराम जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करवाने और हमारे मठ मंदिरों धर्म गुरुओं धर्माचार्यों पुजारियों मासिक सुविधा शुल्क की मांग रखने की बात कही।
साथ ही हमारे देश भारतीय संविधान में उच्च सदन में एक उचित संत को ससम्मान बैठाने का नियम पास कर लागूं करवाया जाना अत्यधिक जरुरी हैं। साथ यह भी कहा कि मुझे प्रभू ने देश हित जन हित लोक कल्याण के लिए भेजा है प्रभू ने मुझे जो दायित्व सौपा है सत्य धर्म प्रेम सेवा सत्यकर्म की भक्ति भावना से ओत-प्रोत होते हुए सिद्ध सफल करना ही मेरा प्रथम उद्देश्य होगा।
इन्हीं शब्दों के साथ सभी राष्ट्र भक्तो सनातनियों को धर्म रक्षकों सभी देशवासियों को शुभकामनाओं सहित आशीर्वाद प्रदान किया। इस दौरान संत समाज से कई बड़े संतों भी मौजूद रहे।